चलती ट्रेन में हाई-वोल्टेज ड्रामा: यात्री से मारपीट, फिर चलती गाड़ी से उतारा — वेंडर व सुपरवाइजर पर केस
ट्रेन के सफर को हम अक्सर आराम और सुविधा से जोड़ते हैं, लेकिन हिसार से बहादुरगढ़ जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस में सोमवार शाम जो हुआ, उसने यात्रियों को हिला कर रख दिया। चूरू (राजस्थान) के एक यात्री प्रदीप के साथ ट्रेन में हुई मारपीट और उसे चलती ट्रेन से उतारने की घटना ने रेलवे सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामला क्या है?
21 अक्टूबर की शाम करीब 4:30 बजे, प्रदीप हिसार रेलवे स्टेशन से गोरखधाम एक्सप्रेस के जनरल कोच में सवार हुआ। लेकिन जैसे ही उसने सीट देखी, वहां पानी की बोतलों की पेटियां रखी हुई थीं। उसने वेंडर से कहा कि ये पेटियां हटा दो — क्योंकि बोतलों से पानी लीक होकर सीट और कपड़े गीले हो रहे थे।
वेंडर रामकुमार ने जवाब दिया कि “यह रेलवे की संपत्ति है, हम नहीं हटाएंगे।” बहस बढ़ी तो प्रदीप ने रेलवे हेल्पलाइन 139 पर शिकायत दर्ज करा दी।
भिवानी स्टेशन पर कार्रवाई
जैसे ही ट्रेन भिवानी स्टेशन पहुंची, आरपीएफ हेड कांस्टेबल शंकर ने ऑनलाइन शिकायत पर कार्रवाई की और सभी पानी की पेटियां ट्रेन से नीचे उतरवा दीं। मामला यहीं खत्म हो जाता, लेकिन कहानी में नया मोड़ आया जब सुपरवाइजर मंजेस ने बीच में एंट्री ली।
कलानौर स्टेशन के पास हंगामा
ट्रेन जब कलानौर रेलवे स्टेशन के करीब पहुंची, तो सुपरवाइजर मंजेस और वेंडर दोनों प्रदीप के पास आए और बहस शुरू कर दी। आरोप है कि दोनों ने प्रदीप को थप्पड़ मारा, उसका फोन छीनने की कोशिश की और चलती ट्रेन से नीचे उतार दिया।
गनीमत रही कि कुछ यात्रियों ने बीच-बचाव कर लिया। इसी दौरान मंजेस खुद ट्रेन से गिर गया और सिर में चोट आ गई। प्रदीप ने दोबारा 139 नंबर पर शिकायत दर्ज कराई।
रोहतक स्टेशन पर पुलिस की एंट्री
जब ट्रेन रोहतक स्टेशन पहुंची, तो रेलवे पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। सुपरवाइजर को काबू कर लिया गया, जबकि वेंडर मौके से फरार हो गया।
पुलिस ने दर्ज किया केस
रेलवे पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। आरोपियों के खिलाफ रेलवे अधिनियम की धारा 62, 115(2), 304, 351(2), 3(5) और 145 के तहत केस दर्ज किया गया है।
यह घटना क्यों गंभीर है
यह कोई साधारण झगड़ा नहीं था —
- यात्री की शिकायत पर कार्रवाई के बाद उस पर ही हमला करना,
- ट्रेन जैसी हाई-सिक्योरिटी जगह पर हिंसा,
- और फिर चलती ट्रेन से किसी को उतार देना —
ये सभी बातें रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती हैं।
सवाल जो अब उठ रहे हैं
- क्या वेंडर और सुपरवाइजर के बीच मिलीभगत थी?
- ट्रेन में मौजूद सुरक्षा कर्मी कहां थे?
- क्या शिकायत करने वाले यात्रियों को डराने का यह नया तरीका बन रहा है?