Diwali 2025 Date & Shubh Muhurat: जानें कब मनाई जाएगी दिवाली, क्या है लक्ष्मी पूजा का सबसे शुभ समय
नई दिल्ली | 19 अक्टूबर 2025
हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह वही रात होती है जिसे महानिशा कहा जाता है — जब धन की देवी मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने भक्तों को समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दिवाली की सही तारीख क्या है? (Diwali 2025 Date)
इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि दो दिनों — 20 और 21 अक्टूबर को पड़ रही है।
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अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे
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अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दीपावली पूजा के लिए प्रदोष और निशीथ काल का होना आवश्यक है। इसलिए इस वर्ष मुख्य दिवाली सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजा का शुभहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat)
इस दिवाली मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की संयुक्त पूजा के तीन प्रमुख शुभ मुहूर्त रहेंगे —
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प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक
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वृषभ काल: शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक (सबसे श्रेष्ठ समय)
इस दौरान लगभग 1 घंटा 11 मिनट का सर्वोत्तम मुहूर्त प्राप्त होगा।
दीपावली पूजा विधि (Diwali 2025 Puja Vidhi)
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पूजा के लिए घर के पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें।
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चौकी पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाकर पहले भगवान गणेश, फिर उनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
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चौकी पर गंगाजल छिड़कें, संकल्प लें और एकमुखी घी का दीपक जलाएं।
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मां लक्ष्मी और गणेश जी को फूल, फल, मिठाई और खील-बताशे अर्पित करें।
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मंत्र-जाप और आरती के बाद शंख ध्वनि करें।
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पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों — मुख्य द्वार, छत, नल के पास और उत्तर दिशा — में दीपक जलाएं।
वस्त्र सुझाव: पूजा के समय लाल, पीले या चमकीले रंग के कपड़े पहनें।
काले या सफेद वस्त्रों से बचें।
दिवाली पर ध्यान रखने योग्य बातें (Diwali 2025 Precautions)
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मिट्टी के दीयों का अधिक प्रयोग करें।
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मुख्य द्वार खाली न छोड़ें — वहाँ आम के पत्तों का वंदनवार लगाएं।
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लक्ष्मी-गणेश की अलग-अलग मूर्तियां स्थापित करें।
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घर में सात्विक भोजन बनाएं और पहले भगवान को भोग लगाएं।
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जुआ या लॉटरी खेलने से बचें — यह दरिद्रता का कारण बन सकता है।
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महिलाओं का सम्मान करें और मांस-मदिरा का सेवन न करें।
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पूजा के बाद जलाया गया दीपक रातभर जलता रहना चाहिए, उसे बुझने न दें।